तीसरी बार "आप" की हुई दिल्ली, कार्यकर्ताओं ने सरोवर पूज जताई खुशी

पुष्कर। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की तीसरी बार सरकार  बनने पर आप पार्टी की  कार्यकर्ता  कीर्ति पाठक के नेतृत्व में  कार्यकर्ताओ  ने पुष्कर सरोवर की पूजा अर्चना ओर दुग्धभिषेक कर सरकार बनने पर ब्रह्म सरोवर का आभार प्रकट किया । आप कार्यकर्ता कीर्ति पाठक ने बताया दिल्ली में आप की तीसरी बार   सरकार बनी है जो आम और गरीबो की सरकार है । दिल्ली की जनता ने आम जनता के बेटा अरविंद केजरीवाल को 62 सीटो के साथ पूर्ण बहुमत के साथ मजबूत सरकार बनने पर पुष्कर सरोवर का दुग्धभिषेक कर आभार प्रकट किया है ।


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*बारिश में भी सेवा में मुस्तैद रही पुष्कर मेडिकल टीम* पुष्कर के राजकीय अस्पताल के प्रभारी डॉ आरके गुप्ता के नेतृत्व में मेडिकल टीम विपरीत परिस्थितियों में भी पुष्कर को कोरोना से बचाने में पूरे जी जान से जुटी हुई है ।आज बारिश के बावजूद डॉ आरके गुप्ता और उनकी टीम बाइक पर छतरी लेकर कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज करने के लिए पहुची ।वही दूसरी तरफ टीम ने कोरोना जाच के लिये सेम्पल लेने का काम भी जारी रखा ।आज खबरे लिखे जाने तक कोरोना जाच के लिए 28 सेम्पल लिए गए ।डॉ गुप्ता ने बताया कि जब मन मे सेवा का जज्बा होता है तो कोई बाधा आड़े नही आ सकती ।गौरतलब है कि गुप्ता और उनकी टीम ने लाक डाउन शुरू होते ही विदेशी नागरिकों की स्क्रीनिंग कर उन्हें स्वदेश भेजने,प्रवासी मजदूरों की स्क्रीनिंग कर अपने घर भेजने,वापसी पर इन मजदूरों की कोरोना सेम्पलिंग कर पुष्कर को सुरक्षित रखने,संदिग्धो के सेम्पल लेकर संक्रमण का पता लगाने,संक्रमितों की कॉन्टेक्ट हिस्ट्री खंगालकर संपर्क में आये लोगो की सेम्पलिंग करने,संक्रमित मरीजों के घर जाकर इलाज करने,होम कवारेटाइन करने,जरूरी मरीजों को इलाज के लिये अजमेर भेजने,घर घर जाकर सर्वे का करने सहित कोरोना गाइडलाइन की पालना करवाने में लगातार जुटी हुई है ।
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ब्रेकिंग न्यूज़ भारत में थम नहीं रहा कोरोना, 24 घंटे में 76 हज़ार से ज़्यादा मामले पिछले 24 घंटों में भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के 76,472 नए मामले सामने आए हैं और 1,021 लोगों की मौत हुई है. इसी के साथ देश में संक्रमण के कुल मालमों की संख्या 34 लाख को पार कर गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में अब कोरोना के कुल 34,63,973 मामले हैं जिनमें से 7,52,424 मामले सक्रिय हैं. संक्रमण के कारण अब तक कुल 62,550 मौतें हुई हैं और 26,48,999 लोग इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं.
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तनातनी के बावजूद भारत से चीन इतना स्टील क्यों ख़रीद रहा कोरोना वायरस की महामारी के कारण भारत की अर्थव्यवस्था संकटग्रस्त है लेकिन स्टील का निर्यात अप्रैल और जुलाई के बीच दोगुने से भी ज़्यादा हो गया है. कम से कम पिछले छह सालों में उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. भारत के स्टील निर्यात में यह अप्रत्याशित उछाल चीन के कारण है जबकि दोनों देशों में भारी तनातनी है. एक तरफ़ भारत चीन के निवेश को लेकर सतर्कता बरत रहा है तो दूसरी तरफ़ चीन इन सबकी उपेक्षा कर भारत से जमकर स्टील ख़रीद रहा है. आख़िर ऐसा क्यों है? समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कारोबारियों ने कहा है कि ऐसा कम क़ीमत के कारण हो रहा है. भारतीय विक्रेताओं के पास उत्पादन की बड़ी खेप मौजूद थी क्योंकि कोविड 19 के कारण घरेलू मांग प्रभावित होने से माल बिक नहीं रहा था. ऐसे में भारतीय विक्रेता इस सरप्लस से छुटकारा चाहते थे और राजस्व कम नहीं होने देना चाहते थे. अभी तक साफ़ नहीं है कि चीन से स्टील की इस पैमाने पर बिक्री किसी नियम का उल्लंघन है या नहीं. लेकिन चाइना आइरन एंड स्टील एसोसिएशन ने एक बयान में कहा है कि वो निगरानी कर रहा है. भारत की अग्रणी स्टील कंपनी टाटा स्टील लीमिटेड और जेएसडब्ल्यू स्टील लीमिटेड उन कंपनियों में शामिल हैं जिन्होंने अप्रैल से जुलाई के बीच कुल 40.64 लाख टन निर्मित और अर्धनिर्मित स्टील उत्पाद विश्व बाज़ार में बेचे. इसकी तुलना में इसी वक़्त पिछले साल महज़ 10.93 लाख टन ही स्टील बेचे गए थे. 40.64 लाख टन स्टील में चीन और वियतनाम ने केवल 10.37 लाख स्टील ख़रीदे हैं. इस मामले में टाटा, जेएसडब्ल्यू और भारत सरकार की तरफ़ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. वियतनाम भारतीय स्टील का नियमित ख़रीदार है लेकिन चीन के बड़े ख़रीदार के तौर पर उभार से भारत के पारंपरिक मार्केट इटली और बेल्जियम पीछे छूट गए हैं. यह सबके लिए चौंकाने वाला है. वह भी ऐसा तब हो रहा है जब भारत के साथ चीन के रिश्ते ऐतिहासिक रूप से ख़राब हैं. लद्दाख में सीमा पर दोनों देशों की सेना आमने सामने है. हालांकि चीन दुनिया के शीर्ष स्टीलमेकर्स उत्पादकों में से एक है और उसके इन्फ़्रास्ट्रक्चर के लिए आयात की ज़रूरत पड़ती है. रॉयटर्स के मुताबिक़ इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने उसे बताया है कि बड़े स्टील निर्माताओं ने प्रति टन 50 डॉलर की छूट दी है.
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शिवराज कैबिनेट का विस्तार 30 को हो सकता है / सिंधिया गुट के 9 और नेता मंत्री बन सकते हैं; भोपाल से सारंग, इंदौर से मेंदोला, मालिनी गौड़ भी रेस में मुख्यमंत्री आज दिल्ली में शाह, नड्डा और संगठन महामंत्री बीएल संतोष से मुलाकात कर सकते हैं अगले महीने मानसून सत्र होना है, संविधान के तहत इसके लिए 12 मंत्रियों का होना जरूरी है मध्यप्रदेश में 30 जून को मंत्रिमंडल विस्तार किया जा सकता है। संभावित नामों को लेकर प्रदेश स्तर पर सहमति बन गई है। नए चेहरों में प्रेम सिंह पटेल, चेतन कश्यप, मोहन यादव और अरविंद भदौरिया के नाम हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पुरानी टीम से गोपाल भार्गव, विजय शाह, गौरीशंकर बिसेन, यशोधरा राजे, राजेंद्र शुक्ला, रामपाल सिंह और भूपेंद्र सिंह ठाकुर को सूची में शामिल किया गया है। भोपाल से विश्वास सारंग, इंदौर से रमेश मेंदोला, मालिनी गौड़ के नामों की भी चर्चा है। शिवराज आज दिल्ली जा सकते हैं। जहां उनकी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष से मुलाकात होगी। इसमें मध्यप्रदेश में तय किए गए नामों को फाइनल किया जाएगा। इससे पहले वे दिल्ली में मध्यप्रदेश के चुनिंदा नेताओं से भी बात कर सकते हैं। संघ को भी दी गई जानकारी इधर, पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख और संघ की ओर से मध्यप्रदेश के पालक अधिकारी बनाए गए अरुण कुमार और क्षेत्रीय प्रचारक दीपक विस्पुते को जानकारी दे दी है। साथ ही संभावित नामों की सूची भी तैयार कर ली। मुख्यमंत्री और पार्टी की ओर से संकेत हैं कि दिल्ली में सीनियर नेताओं से मुलाकात के बाद 30 जून को मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है। मंत्रिमंडल विस्तार पर देर रात तक चली चर्चा शनिवार को देर शाम भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत के बीच भी बात हुई। इसके बाद ये नेता मंत्रालय में मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे। इनके बीच देर रात तक मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर दिल्ली के सामने रखे जाने वाले पक्ष पर चर्चा हुई। मंत्रिमंडल विस्तार मई के आखिर और जून के पहले सप्ताह में संभावित था, जिसमें पहले ही देरी हो चुकी है, लेकिन अब अगले महीने मानसून सत्र होना है, ऐसे में संवैधानिक रूप से मंत्रिमंडल विस्तार करने जरूरी हो गया है। एक्सपर्ट्स ने बताया कि क्यों जरूरी है मंत्रिमंडल विस्तार सुप्रीम कोर्ट के वकील और सांसद विवेक तन्खा का कहना है कि बिना कैबिनेट के बजट का अनुमोदन नहीं हो पाएगा। संविधान के अनुच्छेद 164 (1ए) के अनुसार मंत्रिमंडल में कम से कम 12 मंत्रियों का होना जरूरी है, लेकिन मुख्यमंत्री को आपातकालीन शक्तियां भी मिली हैं। संसदीय मामलों के जानकार सुभाष कश्यप का कहना है कि अभी मुख्यमंत्री के साथ पांच मंत्री हैं। मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे कम से कम 12 मंत्री बनाएं, लेकिन बजट के अनुमोदन का जहां तक प्रश्न है तो यह गैर संवैधानिक नहीं है। पांच मंत्रियों के साथ भी यह हो सकता है। बात सिर्फ औचित्य की है, इसलिए मंत्रिमंडल विस्तार होना चाहिए। 4 से 5 पद रखे जाएंगे खाली मंत्रिमंडल में चार से पांच पद खाली रखने पर प्रदेश स्तर पर सहमति बन गई है। बसपा से संजीव कुशवाह और निर्दलीय प्रदीप जायसवाल को भी मंत्रिमंडल में लिए जाने पर विचार हुआ, लेकिन यह दूसरे मंत्रिमंडल विस्तार तक टल सकता है। हालांकि इसका निर्णय भी केंद्र को लेना है। अभी मुख्यमंत्री और पांच मंत्री मिलाकर छह हैं, जबकि कैबिनेट में मुख्यमंत्री को मिलाकर ज्यादा से ज्यादा 35 संख्या हो सकती है। इंदौर से मेंदोला या मालिनी- 9 सिंधिया समर्थकों के सूची में हैं नाम भोपाल से विश्वास सारंग, रामेश्वर शर्मा। इंदौर से रमेश मेंदोला और मालिनी गौड़ में से कोई एक। संजय पाठक, अजय विश्नोई, नागेंद्र सिंह नागोद, जगदीश देवड़ा, बृजेंद्र सिंह, हरिशंकर खटीक के भी नाम। कांग्रेस से भाजपा में आए महेंद्र सिंह सिसोदिया, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, प्रभुराम चौधरी, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, एंदल सिंह कंसाना, हरदीप डंग, रणवीर जाटव और बिसाहूलाल सिंह के भी नाम सूची में हैं। उज्जैन से पारस जैन, रायसेन से सुरेंद्र पटवा, करण सिंह वर्मा और जालम सिंह पटेल पर प्रदेश में सहमति नहीं, दिल्ली पर छोड़ा निर्णय।
अवैध निर्माणकर्ता को किया पाबंद
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