तनातनी के बावजूद भारत से चीन इतना स्टील क्यों ख़रीद रहा कोरोना वायरस की महामारी के कारण भारत की अर्थव्यवस्था संकटग्रस्त है लेकिन स्टील का निर्यात अप्रैल और जुलाई के बीच दोगुने से भी ज़्यादा हो गया है. कम से कम पिछले छह सालों में उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. भारत के स्टील निर्यात में यह अप्रत्याशित उछाल चीन के कारण है जबकि दोनों देशों में भारी तनातनी है. एक तरफ़ भारत चीन के निवेश को लेकर सतर्कता बरत रहा है तो दूसरी तरफ़ चीन इन सबकी उपेक्षा कर भारत से जमकर स्टील ख़रीद रहा है. आख़िर ऐसा क्यों है? समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कारोबारियों ने कहा है कि ऐसा कम क़ीमत के कारण हो रहा है. भारतीय विक्रेताओं के पास उत्पादन की बड़ी खेप मौजूद थी क्योंकि कोविड 19 के कारण घरेलू मांग प्रभावित होने से माल बिक नहीं रहा था. ऐसे में भारतीय विक्रेता इस सरप्लस से छुटकारा चाहते थे और राजस्व कम नहीं होने देना चाहते थे. अभी तक साफ़ नहीं है कि चीन से स्टील की इस पैमाने पर बिक्री किसी नियम का उल्लंघन है या नहीं. लेकिन चाइना आइरन एंड स्टील एसोसिएशन ने एक बयान में कहा है कि वो निगरानी कर रहा है. भारत की अग्रणी स्टील कंपनी टाटा स्टील लीमिटेड और जेएसडब्ल्यू स्टील लीमिटेड उन कंपनियों में शामिल हैं जिन्होंने अप्रैल से जुलाई के बीच कुल 40.64 लाख टन निर्मित और अर्धनिर्मित स्टील उत्पाद विश्व बाज़ार में बेचे. इसकी तुलना में इसी वक़्त पिछले साल महज़ 10.93 लाख टन ही स्टील बेचे गए थे. 40.64 लाख टन स्टील में चीन और वियतनाम ने केवल 10.37 लाख स्टील ख़रीदे हैं. इस मामले में टाटा, जेएसडब्ल्यू और भारत सरकार की तरफ़ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. वियतनाम भारतीय स्टील का नियमित ख़रीदार है लेकिन चीन के बड़े ख़रीदार के तौर पर उभार से भारत के पारंपरिक मार्केट इटली और बेल्जियम पीछे छूट गए हैं. यह सबके लिए चौंकाने वाला है. वह भी ऐसा तब हो रहा है जब भारत के साथ चीन के रिश्ते ऐतिहासिक रूप से ख़राब हैं. लद्दाख में सीमा पर दोनों देशों की सेना आमने सामने है. हालांकि चीन दुनिया के शीर्ष स्टीलमेकर्स उत्पादकों में से एक है और उसके इन्फ़्रास्ट्रक्चर के लिए आयात की ज़रूरत पड़ती है. रॉयटर्स के मुताबिक़ इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने उसे बताया है कि बड़े स्टील निर्माताओं ने प्रति टन 50 डॉलर की छूट दी है.

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